महर्षि सुश्रुत -जिन्होंने दुनिया को प्लास्टिक सर्जरी का ज्ञान दिया ।
दोस्तों,आज आप सभी लोग तो प्लास्टिक सर्जरी के बारे में जानते ही होंगे। हाँ, आज के युग में तो यह बहुत ही सामान्य सी बात हो गयी है। हमारे बॉलीबुड में हीं, ना जाने कितने लोग ने इसका सहारा लिया होगा😁😁।आज हम अपने ज्ञान की सरोवर 🚣🏻🚣🏻में डुबकी लगाकर, पल्स्टिक सर्जरी के इतिहास और महर्षि सुश्रुत के बारें में सारी जानकारियों को बाहर खीचं 🎣🎣लाएंगे। मुझे पूरा विश्वास है की आपको उनके बारे में जानकर अपने भारतीय होने पर गर्व होगा।
वैसे क्या आपको पहले मालूम था की महर्षि सुश्रुत ने ही दुनिया को प्लास्टिक सर्जरी का ज्ञान दिया है।
इसके बारे में आप हमे कमेंट 👇👇में जरूर बतायें।😊
आचार्य सुश्रुत जिन्हे हम शल्य चिकित्सा (Surgery) के पितामह के रूप में जानते है-उनका जन्म छठी शताब्दी ईसा पूर्व में काशी में हुआ था। परन्तु यह स्पष्ट नहीं है क्योंकि प्राचीन भारत के पुस्तक (कालक्रम) के अनुसार उनका जन्म लगभग 1700 ईसा पूर्व हुआ था। प्राचीन विषयों पर पुस्तक लिखने वाले लेखक वेदवीर आर्य इस तथ्य को सही ठहराने के लिए विभिन्न प्रमाण प्रस्तुत किये है। आचार्य सुश्रुत द्वारा लिखित सुश्रुत संहिता के कई सिद्धांत -शतपथ ब्राह्मण जिनका अनुमान 3000 ईसा पूर्व लगाया जाता है, उल्लिखित है। सुश्रुत संहिता को भारतीय चिकित्सा पद्धति में विशेष स्थान प्राप्त है।
आज हम जो फिटनेस के लिए व्यायाम करते है , वह वास्तव में हजारों साल पहले महर्षि सुश्रुत द्वारा सुझाया गया था। उन्होंने ही मरीज के दिनचर्या में व्यायाम को नियमित रूप से जोड़ा था। वह बीमारियों के प्रतिरोध के लिए और अपने आप को शक्तिशाली रखने के लिए व्यायाम करने की सलाह देते थे।उनके द्वारा रचित सुश्रुत संहिता भी एक मरीज की चिकित्सा प्रक्रिया में अध्ययन की वकालत करती है।
उनके द्वारा रचित सुश्रुत संहिता के बारे में जानने से पहले हम यह जानते है की आखिर प्लास्टिक सर्जरी (शल्य चिकित्सा ) का अर्थ क्या है ??
प्लास्टिक सर्जरी का अर्थ है- शरीर के किसी हिस्से की बनावट को ठीक करना।
प्लास्टिक सर्जरी में प्लास्टिक का उपयोग नहीं होता है😁😁। सर्जरी के पहले जुड़ा प्लास्टिक ग्रीक शब्द प्लास्टिको से आया है। ग्रीक में प्लास्टिको का अर्थ होता है बनाना, रोपना या तैयार करना। प्लास्टिक सर्जरी में चिकित्सक शरीर के किसी अन्य हिस्से के Tissue को लेकर दूसरे हिस्से में जोड़ देते है। भारत में सुश्रुत को पहला सर्जन माना जाता है।
* क्या आपको पता है ,महर्षि सुश्रुत ने मानव के शरीर के अध्ययन के लिए, मृत शव को घांस फूस से ढककर नदी के पानी में डाल देते थे। जिससे शरीर त्वचा छोड़ देती थी और उसके बाद ये अपने विधार्थियों को मानव के शरीर से एक एक अंग का अध्ययन करवाते थे।ऐसे करने वाले वह मानव इतिहास में पहले सर्जन थे। 😮😮😮
वास्तव में भारत और अन्य सभी राष्ट्र में चिकित्सा क्षेत्र का नींव प्राचीन भारत के ही दो हिंदू ग्रंथों पर आधारित है। एक है सुश्रुत की सुश्रुत संहिता और दूसरी है चरक की चरक संहिता। आचार्य सुश्रुत द्वारा रचित पुस्तक सुश्रूत संहिता सभी प्रकार की शल्य चिकित्सा और उनके विभिन्न पहलुओं,उनके प्रशिक्षण-प्रक्रिया से लेकर लगभग हर इलाज के लिए दवाओं के उपयोग के बारे में विस्तार से वर्णन करता है।
आचार्य सुश्रुत दुनिया के इतिहास में पहले दर्ज सर्जन हैं, जो विभिन्न प्रकार की सर्जरी में विशेषज्ञता रखते थे और असंख्य बीमारियों को दूर करते थे।आज से करीब 2500 साल पहले युद्ध या किसी प्राकृतिक विपदाओं में जिनकी नाक खराब हो जाती थी, आचार्य सुश्रुत उन्हें ठीक करने का काम करते थे। कुछ लोगो का मानना है कि इनके काल में बहुत से युद्ध हुआ करते थे, जिससे लोग घायल और कभी कभी तो उनके अंग बहुत ज्यादा ही कट फट जाते थे। उनको ठीक करने के लिये चीर फाड़ करना पड़ता था जिससे उन लोगो को बहुत पीड़ा सहनी पड़ती थी।
शल्य शब्द का अर्थ पीड़ा होता है |
पीड़ा को दूर करने के लिए औषधियो एव मन्त्रो का प्रयोग किया जाता था क्योकि उस समय बहुत कठिनाई से चुभे हुए तीर आदि को निकला जाता था। इस असहनीय पीड़ा को कम करने के लिए मंत्रो का प्रयोग किया जाता था।
आचार्य सुश्रुत ने अपनी लम्बी साधना और अपनी मेहनत से शल्य चिकित्सा में निपुणता हासिल की। इन्होने शल्यचिकित्सा के लिये अनेक यंत्र एवं उपकरण को भी विकसित किया।इनके समय में न ही आज के जैसे प्रयोगशाला थी और न ही कुछ खास उपकरण लेकिन अपने ज्ञान से इन्होने कई औजारों का भी खोज किया जिससे ओपरेशन करने में आसानी होती थी। इन्होने शरीर के विभिन्न अंगो को सुरक्षित एव सावधानीपूर्वक चीर फाड़ के लिए 101 यंत्रो एवं उपकरणों का भी विकास किया था, जिनमे से आज भी बहुत से उपकरणों के प्रयोग होते है। इन्होने शल्यचिकित्सा के बाद शरीर को वापस सीने की तकनीक भी विकसित की थी।
इन्होने चीर-फाड़ के नये तरीक विकसित किये और अपने शिष्यों को लौकी ,तरबूज ,कद्दू और अन्य फलो को काट-काटकर उन विधियो को समझाया। शरीर पर अभ्यास के लिए उन्होंने मोम के पुतले एवं मरे हुए जानवरों को काटकर अपने शिष्यों को समझाते, जिससे उनको शल्य चिकित्सा करने में दिक्कत न हो। सुश्रुत संहिता में मानव कंकाल में 300 प्रकार की हड्डियों का वर्णन किया गया है।
सुश्रुत प्राचीन भारत के महान चिकित्साशास्त्री और शल्य चिकित्सक थे। इनके द्वारा लिखी पुस्तक “सुश्रुत संहिता” बहुत ही विख्यात है।आचार्य सुश्रुत के द्वारा लिखी गई ये पुस्तक भारतीय चिकित्सा में एक नवीन स्थान पर है। इनको शल्य चिकित्सा (Surgery) का जनक भी कहा जाता है। इस पुस्तक को आयुर्वेद की नीव भी कहा जाता है। नागर्जुन नामक महान चिकित्सा शास्त्री ने ” सुश्रुत सहिंता ” का संपादन कर उसे नया स्वरुप प्रदान किया था। यह ग्रन्थ आज भी अनुसन्धान का विषय है। इनके द्वारा किये गए इन्ही कार्यों के कारण इन्हें विश्व का प्रथम शल्य चिकित्सक भी कहा जाता है।
इस चिकित्सा ग्रन्थ में इन्होने 24 प्रकार के स्वास्तिकों, 2 प्रकार के संदसों, 28 प्रकार की शलाकाओं तथा 20 प्रकार की नाड़ियों का विशेष रूप से विस्तृत वर्णन किया है। इसके साथ साथ इन्होने ये भी बताया है कि शल्यचिकित्सा के पहले रोगी को मदिरापान कराया जाता था, क्योकि आचार्य को इसके विभिन्न गुणों जैसे एंटीसेप्टिक होने का भी पूर्ण ज्ञान था। आचार्य सुश्रुत की “सुश्रुत सहिंता” में शरीर सरंचना, कार्य सहिंता, स्त्री रोग, मनो रोग, नेत्र एव सर रोग, औषधि विज्ञानं, शल्य विज्ञानं और विष विज्ञानं का विस्तृत वर्णन है।
आचार्य सुश्रुत शरीर के किसी भी भाग में मास कट फट जाने, घाव लग जाने या किसी विकृति के कारण उस अंग को ठीक करने के लिए एक स्थान से चमड़ी निकालकर इसे दूसरे स्थान पर प्रतिस्थापित कर दिया करते थे।इसमें नाक, कान, होंठो की प्लास्टिक सर्जरी का वर्णन भी किया है। चीरों, राइनोप्लास्टी, लैबियोप्लास्टी, हर्निया सर्जरी, फ्रैक्चर मैनेजमेंट से लेकर दांत निकालने, पेडल ग्राफ्ट, एक्सिशन, प्रोस्टेट ग्लैंड को हटाने, प्रोस्थेटिक की फिटिंग तक, सुश्रुत इन सभी का वर्णन करते है। इस पर प्रभावी रूप से कार्य करने वाले सुश्रुत पहले चिकित्सक थे।
सुश्रुत संहिता पुस्तक की कुछ जानकारियां।।
इस पुस्तक में सर्जरी से जुड़े विभिन्न पहलुओं को विस्तार से बताया गया है। इस किताब के अनुसार सुश्रुत शल्य चिकित्सा में 125 से अधिक उपकरणों का उपयोग किया करते थे. जिनमे चाकू, सुइयां, चिमटियां की तरह ही थे, जो इनके द्वारा ही निर्माण किये गये थे। इन्होने ओपरेशन करने के 300 से अधिक तरीकों के बारे में विस्तृत किया है। सुश्रुत संहिता में उन्होंने नेत्र चिकित्सा में मोतियाबिंद का ओपरेशन करने , Cosmetic Surgery की पूर्ण प्रयोग विधि भी लिखी है।
आचार्य सुश्रुत के द्वारा लिखी गयी इस पुस्तक का कई विदेशी भाषाओ में अनुवाद भी हुआ था। अरबी अनुवाद “किताबे सुसतरन” का अरब चिकित्सको ने इसका भरपूर लाभ उठाया था। इरानी चिकित्सा शास्त्री “राजी” ने आचार्य सुश्रुत के ज्ञान पर आधारित पुस्तक लिखी जिसमे हल्दी एवं लहसुन आदि के गुणों का वर्णन किया गया।
सुश्रुत ने हड्डियों की चोटों पर विस्तार से वर्णन किया है, उन्होंने हड्डियों को वर्गीकृत किया है और 12 प्रकार के फ्रैक्चर का वर्णन किया है। उन्होंने 1,120 प्रकार की बीमारियों का वर्णन करते हुए उनकी 700 औषधीय जड़ी बूटियों का उल्लेख किया है।
आचार्य सुश्रूत जी से जुड़ी कुछ प्रचलित कथायें।
एक बार आधी रात के समय सुश्रुत को दरवाजे पर किसी ने पुकार दी। उन्होंने दीपक हाथ में लिया और दरवाजा खोला। दरवाजा खोलते ही उनकी नजर एक व्यक्ति पर पड़ी। उस व्यक्ति की आँखों से अश्रु-धारा बह रही थी और नाक कटी हुई थी। उसकी नाक से तीव्र रक्त बह रहा था। व्यक्ति ने आचार्य सुश्रुत से सहायता के लिए विनती की। सुश्रुत ने उसे अन्दर आने के लिए कहा, उन्होंने उसे शांत रहने को कहा और दिलासा दिया कि सब ठीक हो जायेगा। वे अजनबी व्यक्ति को एक साफ और स्वच्छ कमरे में ले गए।
कमरे की दीवार पर शल्य क्रिया के लिए आवश्यक उपकरण टंगे थे। उन्होंने अजनबी के चेहरे को औषधीय रस से धोया और उसे एक आसन पर बैठाया। उसको एक गिलास में मद्य भरकर सेवन करने को कहा और स्वयं शल्य क्रिया की तैयारी में लग गए। उन्होंने एक पत्ते द्वारा जख्मी व्यक्ति की नाक का नाप लिया और दीवार से एक चाकू व चिमटी उतारी। चाकू और चिमटी की मदद से व्यक्ति के गाल से एक मांस का टुकड़ा काटकर उसे उसकी नाक पर प्रत्यारोपित कर दिया। इस क्रिया में होने वाले दर्द को वह व्यक्ति मद्यपान के कारण महसूस नहीं कर पाया। इसके बाद उन्होंने नाक पर टांके लगाकर औषधियों का लेप कर दिया। व्यक्ति को नियमित रूप से औषाधियाँ लेने का निर्देश देकर सुश्रुत ने उसे घर जाने के लिए कहा। सुश्रुत ने शल्य चिकित्सा में अद्भुत कौशल अर्जित किया तथा इसका ज्ञान अन्य लोगों को भी कराया।
दोस्तों, अगर आपको हमारा यह प्रयास अच्छा लगा हो तो आप इसे और लोगों तक पहुचाये ताकि उन्हें भी कुछ जानने का अवसर मिले। हम यहां बहुत जल्द और विषयों के बारें में जानेंगे जिन्हे जान आपको भी कुछ वक़्त तक सोचना पड़ेगा --आखिर क्यों ??
1 Comments
Kha se sohcte ho bhai
ReplyDeleteIf you have any doubt, let me know