🛕 गुरुकुल से विश्वविद्यालय 🎓तक का सफर।।📚📚📚📚 EDUCATION IN ANCIENT 🚩INDIA🏫🏫

आज का यह ब्लॉग हमारे आने वाले  ब्लॉग Education In Ancient India के Series का हिस्सा है ,जिसमे हम प्राचीन भारत में स्थित सभी विश्वविद्यालयों और उसके इतिहास के बारे में जानेंगे। 

 प्राचीन समय का शिक्षण काफी हद तक मौखिक था और शिष्यों को जो पढ़ाया जाता था, उसे याद कर लिया करते थे। प्राचीन भारत में, शिक्षा प्रणाली के औपचारिक और अनौपचारिक दोनों तरीके मौजूद थे। घर, मंदिरों, पथशालाओं, टोलों, चेटपेडियों में ही स्वदेशी शिक्षा दी जाती थी।

भारतीय जीवन में वेदों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। भारतीय संस्कृति का आधार वेदों में है, जो ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद  हैं। इन वेदों के अध्ययन से न केवल जीवन के व्यापन बल्कि प्राचीन भारतीय संस्कृति का संपूर्ण  ज्ञान प्राप्त किया जाता था। 

प्राचीन काल में , हजारों ऋषियों ने मंत्रों और भजनों का उच्चारण किया और अपने चारों ओर के वातावरण में  एक अलग शक्तिशाली सकारात्मक ऊर्जा (Positive Aura ) का भंडार बना दिया। वेदों को श्रुति भी कहा जाता है। इन सारी ज्ञान को  एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक मौखिक रूप में ले जाया गया और यह प्रक्रिया तब तक जारीरहा ,जब तक की उन्हें संकलित नहीं किया गया।  संकलित होने से पहले सैकड़ों और हजारों वर्षों तक, वे श्रुति ही थे।

बाद के वैदिक काल के दौरान, शिष्य अपनी शिक्षा पूरी होने तक गुरु के आश्रम में रहने लगे।तत्पश्चात, गुरुकुल शिक्षण केंद्र के रूप में उभरे। 

इस पद्धति को गुरु-शिष्य परम्परा भी कहते है. गुरुकुल का मुख्य उद्देश्य आत्म-संयम , चरित्र में सुधार, मित्रता या सामाजिक जागरूकता, बौद्धिक विकास, आध्यात्मिक विकास, ज्ञान और संस्कृति का संरक्षण और पुण्य का प्रसार करना था।  

गुरुकुल अथार्थ वह स्थान , जहां गुरु का कुल यानी परिवार निवास करता है|  प्राचीन काल में शिक्षक को ही गुरु या आचार्य मानते थे और वहां शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों को उसका परिवार माना जाता था। गुरुकुल में प्रवेश करने के लिए शिष्य का आठ वर्ष का होना अनिवार्य था और पच्चीस वर्ष की आयु तक लोग गुरुकुल में ही रहकर शिक्षा प्राप्त करते थे।  

सामाजिक मानकों के बावजूद हर छात्र के साथ समान व्यवहार किया जाता था यानी यहां पर हर वर्ण के छात्र पढ़ते थे चाहे वे क्षत्रिय हो या शूद्र परिवार से, किसी प्रकार का भेदभाव नही था। जितना पढ़ने का अधिकार ब्राह्मणों को था उतना ही शुद्र को भीथा। गुरुकुल का मुख्य उदेश्शय ज्ञान विकसित करना और शिक्षा पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित करना होता था। 

यहां पर धर्मशास्त्र की पढाई से लेकर अस्त्र की शिक्षा भी सिखाई जाती थी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि योग साधना और यज्ञ के लिए गुरुकुल को एक अभिन्न अंग माना जाता है।  यहां पर हर विद्यार्थी हर प्रकार के कार्य को सीखता है और शिक्षा पूर्ण होने के बाद ही अपना काम रूचि और गुण के आधार पर चुनता था। वैदिक काल के दौरान कोई भी एक विशेष पेशा चुन सकता था और उसी के अनुसार उसका वर्ण निर्धारित किया जाता था। लेकिन बाद के वैदिक काल के दौरान वर्ना जन्म द्वारा निर्धारित किया गया। फलस्वरूप पूरा समाज चार वर्णों में विभाजित था- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र।

वैदिक युग में तीन तरह के संस्थान मौजूद थे जैसे गुरुकुलों, परिषदों  और सम्मेलन। वैदिक युग में छात्र को 25 वर्ष की आयु तक शिक्षा दी जाती थी और उसके बाद उसे घर जाने और जीवन जीने की अनुमति दी जाती थी। 

महिलाओं की शिक्षा::

प्राचीन भारत में महिलाओं के लिए शिक्षा काफी महत्वपूर्ण थी। उन्हें  घरेलु , साथ ही नृत्य और संगीत में प्रशिक्षित किया जाता था। लड़कियों को भी उपनयन समारोह आयोजित करना पड़ता था। शिक्षित महिलाओं को दो वर्गों में विभाजित किया गया था - सयोदोद्वहस, जिन्होंने अपनी शादी तक सिर्फ अपनी शिक्षा का पालन किया, और ब्रह्मवादिनी, जिन्होंने कभी शादी नहीं की और जीवन भर पढ़ाई जारी रखी। वेदों और वेदांगों को महिलाओं को भी पढ़ाया जाता था, लेकिन ये धार्मिक गीतों और अनुष्ठानों के लिए आवश्यक कविताओं तक ही सीमित थे। कुछ उल्लेखनीय वैदिक और उपनिषद महिला विद्वानों में अपाला, इंद्राणी, घोषा, लोपामुद्रा, गार्गी और मैत्रेयी थीं।

गुरुकुल आश्रमों में वैदिक काल से ही करोड़ों छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। हमारे धार्मिक रामायण में भी इसका वर्णन है। रामायण काल में वशिष्ठ का एक बड़ा आश्रम था, जहां राजा दिलीप तपस्या करने गए थे, वही विश्वामित्र जी ने ब्रह्मात्मज प्राप्त किया था। इसी  प्रकार का एक और प्रसिद्ध आश्रम प्रयाग में भारद्वाज मुनि का था।

'गुरुकुल' का वैसे शाब्दिक अर्थ है 'गुरु का परिवार' या 'गुरु का कबीला'। लेकिन भारत में इसे सदियों से   शिक्षा के भाव में व्यवहार करते  आ रहे है। गुरुकुलों का इतिहास ही भारत की शिक्षा व्यवस्था और ज्ञान-विज्ञान की ओर इशारा करता है।गुरुकुलों की व्यवस्था भारत में वैदिक काल के समय से ही चली आ रही है। राज्य शासक ने गुरुओं और गुरुकुलों के रखरखाव के लिए सभी व्यवस्थाएं करना अपना कर्तव्य माना। 

जब वरतातु के शिष्य कौतूस ने बहुत गरीब होने के बावजूद अपने गुरु को दक्षिणा लेने का आग्रह किया तो ,वह नाराज हो गए और चौदह करोड़ के सोने के सिक्कों की राशि मांगी। कौतूहल ने राजा रघु से वह धन की मांग और यज्ञ में सब कुछ दान करने वाले उस राजा ने उस ब्राह्मण बालक की मांग को पूरा करने के लिए स्वयं भगवान्  कुबेर पर आक्रमण करने का निर्णय लिया। रघुवंश की इस कहानी में राजा ने बिना किसी अलौकिक शक्तियों की और इसकी परवाह किए बिना उसे वचन दिया। पाली साहित्य में ऐसी कई चर्चाएं हैं, जिनसे यह ज्ञात है कि प्रसेनजीत जैसे राजाओं ने कई गांवों को ब्राह्मणों को दान दे  दिया, जो वैदिक शिक्षा के लिए गुरुकुल चलाते थे।

गुरुकुलों के ही विकसित रूप तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला और वलभी के विश्वविद्यालय थे। यह इतिहास ही गवाह देती  है ,कि दूर-दूर विश्वविद्यालयों के छात्र वहां के विश्व प्रसिद्ध शिक्षकों से अध्ययन करने आया करते थे। वाराणसी अनादिकाल से शिक्षा का मुख्य केंद्र था औरअभी तक यहां सैकड़ों गुरुकुल, पाठशालाएं हैं और अन्नक्षेत्र उन्हें खिलाने के लिए जारी रखा गया है। 

भारत कई प्राचीन विशाल विश्वविद्यालयों का घर है, जिसकी बनावट ही देखकर सभी लोग आश्चर्यचकित हो जाते है। दुनिया के कोने-कोने से छात्र आए और इन अध्ययन केंद्रों में अध्ययन किया। 

हम आज उन्ही विश्वविद्यालयों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे, जिन्हे उत्खनन के माध्यम से फिर से खोजे गए हैं। और अधिक खुदाई से हमारे गौरवशाली अतीत की और खोज होगी।

हम एक-एक कर 15 -20 ऐसे विश्वविद्यालयों के बारे में जानेंगे जो अपने काल परिपूर्ण था ,साथ उन सभी बारे में कई रोचक तथ्य को भी जानेंगे। हम निम्लिखित विश्वविद्यालयों  के बारे में जानेंगे ,तो बने रहिये हमारे साथ इस नयी खोज में ,जिन्हे जान कर आपको भी अपने भारतीय होने पर गर्व महसूस होगा। 

1  तक्षशिला विश्वविद्यालय
2   नालंदा विश्वविद्यालय
3   तेल्हाड़ा वि
श्वविद्यालय 
4   मिथिला विश्वविद्यालय
5    शारदा पीठ विश्वविद्यालय
6    वल्लभी विश्वविद्यालय
7    ओदंतपुरी विश्वविद्यालय
8    विक्रमशिला विश्वविद्यालय
9     पुष्पगिरी विश्वविद्यालय
10    सोमपुर विश्वविद्यालय
11     बिक्रमपुर विश्वविद्यालय 
12    कंथलोर साला विश्वविद्यालय
13    मोरेना गोल्डन ट्रायंगल टेम्पल 
14     जगद्दल  विश्वविद्यालय
15      नादिया विश्वविद्यालय
16       नागार्जुन विद्यापीठ 

दोस्तों, हम सभी इन विश्वविद्यालयों के बारे में एक -एक कर पुरे विस्तार में जानेंगे। तो दोस्तों लिए बस इतना ही और जल्द मिलते है ,तक्षशिला विश्वविद्यालय के सारे जानकारी के साथ। तबतक आप हमारे प्राचीन काल की शिक्षा प्रणाली के बारे में विचार करे और समझने की कोशिश करे की कैसे गुरुकुल शिक्षा प्रणाली आज के युग के शिक्षा प्रणाली से बेहतर थे। आप चाहे तो हमे कमेंट सेक्शन में यह बता सकते है। 

                                     🙏🏻🙏🏻 तब तक के लिए राधे -राधे !🙏🏻🙏🏻

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