🐍🐍सांप -सीढ़ी का खेल या आत्मज्ञान पाने की राह।। 🛤️🛤️MOKSHA PATAM --AN ANCIENT GAME TO TEACH MORALS..🌞🌞

दोस्तों,आप सभी ने आज के ब्लॉग का शीर्षक देख यह अंदाजा तो लगा ही लिया होगा कि आज हम किस बात पर चर्चा करने वाले हैं। वैसे  मुझे मालूम है कि आप सभी ने तो अपनी जिंदगी में कभी न कभी सांप सीढ़ी का खेल खेला ही होगा 🙄🙄। लेकिन आज मैं आपसे एक प्रश्न पूछता हूं-क्या आपने कभी यह नहीं सोचा कि आखिर यह खेल आया कहां से, इसका जनक कौन था और इस खेल के बनाने के पीछे का क्या कोई कारण भी था ?

हाँ,मुझे मालुम है, किसी ने भी ये विचार अपने दिमाग में भी नहीं लाया 😇😇 होगा।

हमारे इतिहास में घटे हर कार्य के पीछे अवश्य कोई न कोई कारण होता था,तो इस खेल के उतपति् का भी तो कुछ कारण होगा। तो हम आज इसी खेल से जुड़े कई रोचक जानकारीयों को जानेगें। वैसे भी हमारे इस ब्लॉग का लक्ष्य यही है कि आप सभी को ऐसी जानकारीयां दूँ जिनके बारे में आपने शायद ही सुना होगा।

मोक्ष पथ -अथार्त मुक्ति कि सीढ़ी।।

"सांप और सीढ़ी '' का खेल प्राचीन समय से ही अत्यधिक लोकप्रिय रहा है। प्राचिन भारतीय काल में इसे 'मोक्ष पाटम' या 'मोक्ष पथ' के रूप में जाना जाता था। यह खेल कर्म, मोक्ष, सदगुण जैसे विचारो को सम्महित करता है।

कवि संत ज्ञानदेव ने 13 वीं शताब्दी में "मोक्ष पाटम" नामक एक बच्चों का खेल बनाया था।   

इस खेल को अच्छे -बुरे कार्यों के प्रभावों को सिखाने के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग किया जाता था। यह खेल दो या दो से अधिक खिलाड़ियों के लिएप्रचलित है ,जिसे आज दुनिया भर में क्लासिक माना जाता है।मोक्ष पाटम सरासर भाग्य पर आधारित एक सरल दौड़ प्रतियोगिता थी। यह खेल बोर्ड पर खेला जाता है, जिसमें 1  से लेकर 100  तक  वर्ग होते है। इन वर्गों को क्रमिक रूप से गिना गया था। वैसे तो ग्रिड का आकार भिन्न होता है, लेकिन सामान्यतः 8 × 8, 10 × 10 या 12 × 12 के आकार का वर्ग होता है। बोर्डों में विभिन्न चौकों पर शुरू और समाप्त होने वाले सांप और सीढ़ी मौजूद होती है। 

प्राचीन काल में ,इस खेल का उद्द्येश नैतिकता का पाठ देना था, जो कर्म ,भाग्य और इच्छा को संबोधित करता था। इस खेल ने नियति पर अच्छे और बुरे कर्मों के प्रभाव को सिखाया, जहां एक खिलाड़ी की प्रगति उसके सद्गुणों और उसके द्वारा किये गये जटिल जीवन यात्रा का प्रतिनिधित्व करता था। इस खेल में सीढ़ी ने अच्छे कर्म, भाग्य, उदारता, विश्वास और विनम्रता का प्रतिनिधित्व करता था , जबकि सांपों ने दुष्कर्म जैसे -काम,इच्छा ,वासना, क्रोध, हत्या और चोरी का प्रतिनिधित्व करते थे। 

लोगों को यह बताने के लिए की जीवन में कितने ही कठिनाईयाँ है ज्ञानदेन ने इस खेल में सांपों की संख्या अधिक रखी और सीढ़ियों  की संख्या कम रखी थी ताकि लोगों को यह समझ आये कि पापों के मार्ग की तुलना में भलाई का रास्ता अत्यधिक कठिन है। संभवतया, अंतिम वर्ग (100 नंबर) तक पहुंचना मोक्ष (आध्यात्मिक मुक्ति) का प्रतिनिधित्व करता है।

इस खेल के बोर्ड में भिन्न भिन्न चित्रों का प्रयोग किया गया था, जिसमें शीर्ष पर देवता, देवदूत और राजसी प्राणी थे, जबकि बाकी जगहों पर जनवरों, फूलों और लोगों के चित्रों को लगाया गया था। प्रत्येक वर्ग विभिन्न गुण और अवगुण को दर्शाता था ,जैसे 12 वां वर्ग विश्वास का था, 51 वां वर्ग विश्वसनीयता का , 57 वां वर्ग उदारता, 76 वां वर्ग ज्ञान , और 78 वां वर्ग तप को दर्शाता था। ये ऐसे वर्ग थे जहाँ सीढ़ी पाई जाती थी और कोई भी तेज़ी से आगे बढ़ सकता था।यह सीढ़ियां जीवन में मिलने वाली उन फलों की ओर केंद्रित करता है जिन्हे आप केवल सद्गुणों के माध्यम से प्राप्त कर सकते है। 


41 वां वर्ग अवज्ञा के लिए था, घमंड के लिए 44 वां वर्ग, अशिष्टता के लिए 49 वाँ वर्ग, चोरी के लिए 52 वाँ वर्ग, झूठ बोलने के लिए 58 वाँ वर्ग, नशे के लिए 62 वाँ वर्ग, ऋण के लिए 69 वाँ वर्ग, क्रोध के लिए 84 वाँ वर्ग,  लालच के लिए 92 वाँ वर्ग, अभिमान के लिए 95 वाँ वर्ग, हत्या के लिए 73 वाँ वर्ग और वासना के लिए 99 वाँ वर्ग।  ये ऐसे वर्ग थे जहाँ साँप अपना मुँह खोले लोगों का इंतज़ार किया करता था। 100 वाँ वर्ग निरूपण या मोक्ष का प्रतिनिधित्व करता है। 

 आंध्र प्रदेश में, इस खेल को तेलुगु में वैकुंठपाली या परमपद सोपना पाटम (मोक्ष की सीढ़ी) भी कहा जाता है। तमिलनाडु में खेल को परमपद कहा जाता है और अक्सर वैकुंठ एकादशी त्योहार के दौरान इसे भगवान विष्णु के भक्तों द्वारा खेला जाता है।

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इस खेल के महत्व का सारांश ::
यह खेल जीवन के कटुर सत्य को बताता है। सीढ़ी ने नैतिकता का प्रतिनिधित्व किया, जबकि सांपों ने वासना, क्रोध, हत्या और चोरी जैसे दोषों का। खेल का नैतिकतापूर्ण पाठ यही था कि व्यक्ति अच्छा करने के माध्यम से मोक्ष (मोक्ष) प्राप्त कर सकता है, जबकि बुराई करने से जीवन के निचले रूपों में उसे कष्ट भोगना पड़ेगा। 

इस खेल में पुण्य के वर्ग: आस्था (12), विश्वसनीयता (51), उदारता (57), ज्ञान (76), और तपस्या (78) है।   बुराई के वर्ग : अवज्ञा (41), घमंड (44), विकृति (49), चोरी (52), झूठ बोलना (58), नशे (62), ऋण (69), हत्या (73), क्रोध (  84), लालच (92), गर्व (95), और वासना (99) है।

 शाश्वत सत्य तो यही है कि जिस सीढ़ी पर आप चढ़ने की उम्मीद करते हैं, उसके लिए सांप बस कोने में आपका इंतजार कर रहा है, और हर सांप के लिए एक सीढ़ी मुआवजा के रूप कार्य करती है। लेकिन यह उससे कहीं अधिक है। 
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अंग्रेजों ने बाद में इसे मोक्ष पाटम के बजाय सांप और सीढ़ी का नाम दिया और इस प्रकार इस प्राचीन खेल का भी आधुनिक संस्करण हो गया। 

इस खेल के नए version में बोर्ड पर कई "सीढ़ी" और "सांप" चित्रित किए गए।अब यह खेल एक सरल दौड़ पर आधारित है और यह छोटे बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय है। अब इस खेल का उद्देश्ययह रह गया है की एक पाशे के पीस को नेविगेट करना होता है। इसका प्रारंभ (निचला वर्ग) से होता है और खत्म (शीर्ष वर्ग) तक पहुंचने पर। इस खेल को अन्य नामों जैसे च्यूट्स एंड लैडर्स, बाइबल अप्स एंड डाउन्स, आदि के तहत बेचा गया है, जिनमें से कुछ नैतिकता मूल भाव के साथ है। 

अंग्रेजों ने 1892 में इस खेल को यूरोप में पेश किया और ईसाई धर्म के नैतिकता के दर्शन का उपयोग करते हुए इसे दोबारा शुरू किया। इसमें सीढ़ी को रोमांच, उद्योग, तपस्या से जोड़ा गया जबकि सांप को  भोग, अवज्ञा और अकर्मण्यता से जोड़ा गया था। इस खेल के अंतर्निहित आदर्शों ने 1892 में विक्टोरियन इंग्लैंड में पेश किए गए एक संस्करण को प्रेरित किया।   

 


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