दोस्तों, मुझे पता है कि आप सभी ने नए साल को बड़े ही आनंद के साथ बिताया होगा | हाँ, मैंने थोड़ी देर कर दी ये बात पूछने में 😊,पर कर भी क्या सकते है ??👊
आशा है की यह साल आप सभी के जीवन में नयी उमंग और नयी खुशियाँ लेकर आये , वैसे खुशियों से याद आया, क्या आपने जनवरी की पहली को हमारे ही देश के एक महान गणितज्ञ और भौतिकी वैज्ञानिक के जन्मदिन का जश्न मनाया ??
आप में कुछ लोगों को ये बात नयी😕😕 लगी हों , लेकिन अब नहीं लगेगी ,क्योंकि आज हम भारत के एक ऐसे गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री (Physicist) के बारे में जानेंगे जिन्होंने एक ऐसी खोज की जिनका एहसान हमें आज भी नहीं भूलना चाहिए |
हाँ ,मैंने भी थोड़ी देर कर दी ,पर वो कहते है न, देर आये दुरुस्त आयें ||
उस भारतीय वैज्ञानिक का नाम था ----सत्येंद्र नाथ बोस(Satyendra Nath Bose)
उनका पैतृक घर बंगाल प्रेसीडेंसी में, बारा जगुलिया गाँव में था। उनकी स्कूली शिक्षा पांच साल की
सन 1916 में, उन्होंने शोध वैज्ञानिक (Research Scientist) के रूप में कलकत्ता के साइंस कॉलेज में शामिल हो गए और Relativity के सिद्धांत में अपनी पढ़ाई शुरू की। 1916 से 1921 तक उन्होंने कलकत्ता के विश्वविद्यालय -साइंस कॉलेज में Physics Lecturer के पद पर रहे |
उस साल क्वांटम सिद्धांत (Quantum Theory) के आने से विज्ञान के क्षेत्र में उफान आ गयी थी, इसके कई परिणाम आने बाकी थे |
बोस जी का कई प्रकार के भाषाओं को पर अच्छी पकड़ थी --बंगाली, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन और संस्कृत | इसके अलावा उन्होंने लॉर्ड टेनिसन, रवींद्रनाथ टैगोर और कालीदास की कविता में भी पारंगत किया था। बोस जी भारतीय संगीत के अत्यधिक प्रशंसक थे, वह वॉयलिन बजाने में पारंगत थे |
Scientific Background ::🎇🎇
सत्येंद्र नाथ बोस एकमात्र ऐसे भारतीय भौतिक वैज्ञानिक हैं, जिनके नाम को अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ जोड़ा जाता है।
हम जानते है की किसी भी पदार्थ के 3 रूप होते है - ठोस, द्रव्य और गैस (Solid, Liquid & Gas) | वैसे आमतौर पर तो किसी भी चीज के ये तीन ही रूप होते हैं लेकिन कुछ वस्तुएं ऐसी भी होती है जिनकी एक और रूप पाया जाता है। उस रूप को Bose-Einstein Condensate के नाम से जाना जाता है। Bose-Einstein Condensate दो लाजवाब वैज्ञानिकों के दिमाग का नतीजा है |
1918 में सत्येंद्र नाथ बोस, मेघनाद साहा जी के साथ से सैद्धांतिक भौतिक(Theoretical Physics) और गणित में कई पेपर प्रस्तुत किए। Einstein के अनुमति से ही उन्होंने सन 1919 में आइंस्टीन की विशेष और सामान्य सापेक्षता (Special Relativity) के जर्मन और फ्रेंच अनुवादों को अंग्रेजी में अनुवाद कर पहली पुस्तक तैयार की।
Albert Einstein ने इस शोध के महत्व को समझा और इसे प्रकाशित करने के लिए Zeitschrift Fuer Physik में भेजा | आइंस्टीन ने बोस जी के कार्य को जर्मन भाषा में अनुवाद कर के न सिर्फ प्रकाशित किया, बल्कि इसके अंत में एक खास नोट भी लिखा, उन्होंने लिखा था, “प्लैंक के फॉर्मूला पर बोस का डेरीवेशन मेरे हिसाब से विज्ञान में आगे की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम है। यहाँ पर प्रयोग की गयी प्रक्रिया आइडियल गैस के क्वान्टम थ्योरी को भी दर्शाती है, और इसे मैं कहीं और भी सिद्ध करूंगा।”
Einstein ने तब इस सिद्धांत को Ideal Gas तक बढ़ाया और इस शोध को बर्लिन में हुए वैज्ञानिक सम्मलेन में प्रस्तुत किया | बाद में बोस जी ने आइंस्टीन को एक और पेपर भेजा जिसे भी जर्मन भाषा में अनुवाद किया गया | बोस ने Plank's Law की जो डेरिवेशन दी थी, उसी से बोस-आइंस्टीन स्टेटिस्टिक्स आयी और यह क्वांटम मैकेनिक्स का एक अहम हिस्सा है।
इन Particles बोसोन क्यों कहते हैं ??💁💁💁
बोस जी वो व्यक्ति थे ,जिन्होंने यह पता लगाता था कि समान फोटॉनों (Special Case Of Photons) का एक समूह कैसे व्यवहार करता है।उन्होंने केवल क्वांटम मैकेनिकल विचारों का उपयोग करके, गणितीय रूप से(Mathematically ) , प्लांक के विकिरण (Plank's Law Of Radiation ) के नियम को पुन: प्रस्तुत किये। उनकी इसी Mathematical गणना से Quantum Statistics की नीव रखी गयी | इसी शोध को Bose - Einstein Statistics कहा गया और उन particles (Photons ) को Boson Particles कहा जाता है |
नवंबर 1925 में आइंस्टीन को देखने के लिए बोस पेरिस से बर्लिन गए। आइंस्टीन चाहते थे कि बोस एक नए वैज्ञानिक पहलु - The Statistics Of Light Quanta & The Transition Probabilities Of Radiation पर काम करे ,परन्तु बोस जी ढाका के विश्वविद्यालय में Physics Labrotiries स्थापित करने के लिए ढाका लौटना चाहते थे।
बोस जी ने अपनी प्रयोगशाला के लिए खुद ही एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी का उपकरण तैयार किया। उन्होंने X-ray Spectroscopy, X-ray diffraction, Magnetic properties of matter, Optical spectroscopy, Wireless, and unified field के सिद्धांतों में खोज विभाग के लिए प्रयोगशाला और पुस्तकालयों की स्थापना की।
बोस जी भौतिकी विज्ञानी के साथ साथ बहुभाषी भी थे,और उनकी यह सोच थी कि स्कूलों में बच्चो को बंगाली भाषा में शिक्षा दी जाये। उनका मानना था कि बच्चों को उनकी स्थानीय भाषा में ही पढ़ाया जाना चाहिए। उनका मानना था की बच्चों अपनी भाषा में कठिन से कठिन विषयों को समझ सकते है ,और यही कारण था की उन्होंने कई वैज्ञानिक कार्यों को बंगाली भाषा में अनुवादित किया। साथ ही, उन्होंने एक समिति, ‘बंगिया विज्ञान परिषद’ की स्थापना भी की ताकि विज्ञान को क्षेत्रीय भाषा में बढ़ावा दिया जाय |
भौतिकी के अलावा, उन्होंने Biotechnology and Literature (Bengali and English) में भी शोध किया। उन्होंने Chemistry, Geology,Zoology, Anthropology, Engineering and Other Sciences में गहन अध्ययन किया।
फिजिक्स में अपने योगदानों के लिए बोस कई बार नोबल पुरस्कार के लिए नामांकित तो हुए, पर एक बार भी उन्हें यह पुरस्कार नहीं मिला। हालांकि, इस बात ने उन्हें कभी निराश नहीं किया। उनका मानना था, “मुझे वो पहचान मिल चुकी है जिसका मैं हकदार हूँ।”
5 Comments
I have never heard about Satyendra Nath ji. Such a brilliant mind Our country had!🙏
ReplyDeleteThanks.. for sharing valuable knowledge with us.
ReplyDeleteDoing a great job.👍 Keep on spreading fact about our country and our culture.
ReplyDeleteThanks for sharing more about bose ji
ReplyDeleteWaw kya likha hai bhai
ReplyDeleteIf you have any doubt, let me know