दोस्तों आपने कभी न कभी जरूर यह बात सुनी होगी की हमारे देश को सोने की चिड़िया कहते है | इस बात को सुनने क बाद आपने बचपन में तो जरूर यही सोचा होगा की भारत क पास एक सोने की चिड़िया है 😃😃|
क्यों है न बिलकुल सही बात ??
मैं बिल्कुल यकीन के साथ ये बात कह सकता हूँ की आप में से बहुत कम लोग ही इस नाम के पीछे की कहानी को जानते होंगे | आपको ज्यादा सोचने की जरुरत नहीं है क्यूँकि मैं जो हूँ |
आज मैं आपको एक भारतीय इतिहास के सबसे शक्तिशाली राजा के बारे में बताने जा रहा हूँ , भारत को एक अलग ही मुकाम पर खड़ा कर दिया था -- उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य !
उस महान सम्राट विक्रमादित्य को कोई नहीं जानता। यह हमारा दुर्भाग्य है। हम अपना इतिहास नहीं जानते हैं और हम यह नहीं मानना चाहते हैं कि हम क्या जानते हैं।
पृथ्वी के महानतम राजा- चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य
महान राजा विक्रमादित्य, जिनका नाम भारत के सर्वश्रेष्ठ राजाओं में गिना जाता है। महाराज विक्रमादित्य ने ही भारत में राजाओं द्वारा चक्रवर्ती सम्राट की उपाधि शुरू की थी|
चक्रवर्ती सम्राट का अर्थ- एक राजा होता है जो सभी दिशाओं में शासन करता है और उसे चुनौती देने वाला नहीं है|
राजा विक्रम का राज्याभिषेक दीपावली के शुभ दिन हुआ था| 20 साल की ही उम्र में, उन्होंने न केवल भारत की सीमाओं से, बल्कि समस्त एशिया से सभी सेनाओं को निरस्त कर दिया था।राजा विक्रमादित्य ने उज्जैन को अपनी राजधानी बनाया।
राजा विक्रमादित्य ही ओ पहले शासक थे ,जिन्होंने सनातन कैलेंडर की शुरुआत की,जिसे हम विक्रमी संवत कहते हैं।
विक्रम संवत जो महीनों और साल की गणना के लिए आधार इकाई के रूप में उपयोग किया जाता है।
राजा विक्रमादित्य ने पुरे विश्व में वैदिक ज्ञान की प्रसार की | वह वैदिक भारतवर्ष के सुधारक भी थे |
उनके समय के दौरान भारत दुनिया का सबसे धनवान देश था। उन्होंने लगभग पूरे एशिया पर शासन किया। राजा विक्रमादित्य ने अपने दरबार में एक ज्योतिष श्रीकृष्ण मिश्रा पर 10 मिलियन सोने का सिक्का दिया था। अब उनके धन की कल्पना करो|
विक्रमादित्य द्वारा शुरू की गई एक अन्य योजना शाही सड़क थी, जो दुनिया की सबसे लंबी, 1,700 मील तक फैली हुई थी। रिले के व्यापक नेटवर्क के कारण, पोस्टमैन छह से नौ दिनों में सड़क यात्रा कर सकते थे, जबकि सामान्य यात्रा का समय तीन महीने था।
'' उन दिनों विक्रमादित्य की तुलना में कोई सम्राट नहीं था ''|
उसका शत्रु एक ईरानी राजा शक था, लेकिन शक राजा विक्रमादित्य को अंत तक हराने में विफल रहा| उन्होंने शाक्यों पर विजय प्राप्त की और दुनिया की पहले सनातन कैलेंडर विक्रम संवत की स्थापना की।
विक्रम संवत्सो को पौराणिक राजा विक्रमादित्य के ही नाम पर विक्रमी कैलेंडर के नाम से जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप में यह एक ऐतिहासिक हिंदू कैलेंडर है। यह नेपाल का आधिकारिक कैलेंडर है|
राजा विक्रमादित्य के पास विशाल सेना थी :-
1. 3 करोड़ सैनिक
2. विभिन्न वाहनों के दस करोड़।
3. 24,300 हाथी।
4. 4,00,000 (चार लाख) जहाज
राम नगरी अयोध्या को सम्राट विक्रमादित्य ने फिर ही से खोजा था|
विक्रमादित्य ने अयोध्या की खोज शुरू की, और तीर्थों के राजा प्रयाग (प्रयाग के व्यक्ति) से मिले। प्रयाग द्वारा बताये जाने पर , उन्होंने जगह को चिह्नित किया, लेकिन बाद में ओ अपना स्थान भूल गये।
एक योगी ने उनसे कहा कि उन्हें एक गाय और एक बछड़ा छोड़ देना चाहिए: अयोध्या उस स्थान पर होगा जहां गाय के थन से दूध बहने लगेग़ा । इस सलाह का उपयोग करते हुए, विक्रमादित्य प्राचीन अयोध्या के स्थल की फिर से पहचान करने में कामयाब रहे।
विक्रमादित्य का साम्राज्य वर्तमान भारत से अफ्रीका और रोम तक फैला हुआ था ,सम्राट विक्रमादित्य ने अरबों और यूरोप को रौंद डाला था | उन्होंने रोम के राजा जूलियस सीज़र को भी युद्ध में हरा दिया था|
6 Comments
Wondeful story(blog)
ReplyDeleteThanks..Bebo..
DeleteWondeful story(blog)
ReplyDeleteWondeful story(blog)
ReplyDeleteKeep it bro
ReplyDeleteI am happy to know about structure or their technique to build a huge monument about so many year ago without using machines .This show that our ancestors were too knowledgeable about construction .
ReplyDeleteIf you have any doubt, let me know